विकसित भारत 2047 का विज़न देश को उसकी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का है, जिसमें $30 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था, उच्च प्रति व्यक्ति आय और समावेशी विकास शामिल है । इस लक्ष्य की बुनियाद एक मजबूत, आधुनिक और जन-सहभागिता आधारित वित्तीय सिस्टम पर टिकी है । इस यात्रा को गति देने में, म्यूचुअल फंड्स एक अत्यंत महत्वपूर्ण और केंद्रीय स्तंभ के रूप में उभर रहे हैं ।
1. बचत को उत्पादक पूँजी निर्माण में बदलना
भारत में घरेलू बचत दर ऐतिहासिक रूप से उच्च रही है, पर इसका एक बड़ा हिस्सा अब भी कम रिटर्न वाले साधनों जैसे बैंक जमा और सोने तक सीमित है । विकसित भारत को बुनियादी ढाँचे (इंफ्रास्ट्रक्चर), स्टार्टअप्स, इंडस्ट्री और टेक्नोलॉजी के लिए बड़ी और स्थिर पूँजी की आवश्यकता होगी ।
पूँजी बाज़ार (Capital Markets) में लाते हैं । यह पूँजी इक्विटी और डेट मार्केट के माध्यम से देश के विकास प्रोजेक्ट्स को फंड करती है, जिससे ‘बचत → निवेश → विकास’ का चक्र मजबूत होता है । अनुमान है कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री 2047 तक भारत की जीडीपी का 110% से अधिक, यानी $33 ट्रिलियन AUM (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) तक पहुँच सकती है, जो इसे जीडीपी वृद्धि का इंजन बनाएगा ।
2. जन-सामान्य को वित्तीय सशक्तिकरण
2047 में भारत तभी विकसित कहलाएगा जब प्रत्येक नागरिक आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो । म्यूचुअल फंड्स वित्तीय समावेशन को बढ़ाते हैं ।
- सुलभता: ₹500 (और कुछ योजनाओं में ₹100) जैसी छोटी राशि से निवेश की सुविधा देकर, म्यूचुअल फंड्स ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर हर वर्ग को पैसा बचाने के साथ बढ़ाने का साधन देते हैं ।
- धन सृजन: सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से, ये फंड्स लोगों में अनुशासित बचत की आदत डालते हैं । SIP और कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि ब्याज) से लोग रिटायरमेंट प्लानिंग, बच्चों की शिक्षा, घर और स्वास्थ्य जैसी दीर्घकालिक जरूरतें बिना कर्ज के पूरी कर सकते हैं ।
- जोखिम प्रबंधन: म्यूचुअल फंड्स जोखिम को विभिन्न संपत्तियों में निवेश करके कम करते हैं, जिससे यह मध्यम और छोटे निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन जाता है । इसके अलावा, ये फंड्स
SEBI द्वारा नियंत्रित हैं, जिससे पारदर्शिता और विश्वास बढ़ता है 。
3. भारत की वैश्विक वित्तीय शक्ति का निर्माण
जैसे-जैसे भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का AUM बढ़ेगा, वे न केवल घरेलू बाजारों में निवेश करेंगे, बल्कि विश्व बाज़ार में भी निवेश करेंगे । 2047 तक, जब भारत शीर्ष तीन वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में होगा, हमारे म्यूचुअल फंड्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय निवेशकों का प्रतिनिधित्व करेंगे । इससे भारत की फाइनेंसियल सॉवरेनिटी और ग्लोबल इंफ्लुएंस मजबूत होगी ।